बदहवास बिन तेरे एक बरस गुजर गया
मेरा तो जीना ही तेरे बिन छूट गया
कैसे याद दिलाऊ मेरी हिमाक़त,
तू एक बार माजी याद कर देख तो सही
तेरी अक्ल भी गवाही देगी
की तेरी मेरे साथ कई ज़िद अब भी बाकी हैं।
ना मुनासिब है वो उम्र की चादर
उम्र से पहले जिसमे तू लिपटी
कैसे याद दिलाऊ मेरी कवारियत,
तू एक बार जोश भर देख तो सही
तेरी जसामत भी गवाही देगी
के तेरी जवानी अब भी बाकी है।
ना पायदार रही तू तेरा इश्क़ हर बार
तूने ही तो बनाया है मुझे अश्क़ बार
कैसे याद दिलाऊ मेरी रुमानियत
तू एक बार हया का पानी भर तो सही
तेरी इस्मत भी गवाही देगी
की तेरी मुझसे वफ़ा अब भी बाकी हैं।
बुज़दिली में मुझसे तो बांधे गिरह
खाविंद के साथ मना रही सालगिरह
कैसे याद दिलाऊ मेरी राफ़ाक़त,
तू एक बार तलाक़ ले देख तो सही
तेरी हुई शादी भी गवाई देगी
के तेरी असल रस्म-ए-निसबत अब भी बाकी हैं।
बदतर हो गई जिंदगी अब तेरे बिन
दुनिया सही मैं ही एक बस हीन
कैसे याद दिलाऊ मेरी वफ़ात,
तू एक बार मर कर देख तो सही
तेरी रूह भी गवाही देगी
के तेरी मौत अब भी बाकी हैं।
नामुक्कमल तुम्हे हासिल करने की ख्वाहिश
और गैर को सगी बनाने की मुराद,
कैसे याद दिलाऊ मेरी जुनूनीयत
तू एक बार हदे पार कर देख तो सही
तेरी सिंदूर दानी भी गवाही देगी
के तेरी मांग सही भरनी अब भी बाकी हैं।
ना मुआफ़िक थे और रहेंगे तेरे हर फैसले
फिर भी इंतज़ार करूँगा तेरा हर मौसम में
कैसे याद दिलाऊ मेरी मुरव्वत,
तू एक बार मायके आ देख तो सही
तेरी दरो दीवारे भी गवाही देगी
की तेरी मुझे आस अब भी बाकी हैं।
Some beautiful words :-
हिमाक़त – नादानी
माजी – बीता हुआ कल
जसामत – शऱीर की स्तिथि
ना पायदार – जो ज्यादा समय साथ ना दे
रुमानियत – प्यार में हुई दशा
रफ़ाक़त – दोस्ती
वफ़ात – मौत
मुरव्वत – इज्जत का भाव
अश्क़ बार – रोनेवाला
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Pushkar ka pyar
ये कहानी है पहाड़ो की,मुसाफिरों की.पुष्कर के प्यार की ..
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रस्म-ए-निस्बत
तुम्हारे जिस्म,जेवर कि तारीफ़ अब नही करुगा क्योकि यह कहने का हक ओ हुकूमत सिर्फ तुम्हारे ख़ाविंद को है।