Taarikh-e-paidaish

ये समझ आ गई कि इस यौम में मैं दिखावा नही चाहता।

बचपन में सबसे मुश्किल समय वह था जब जन्मदिन पर पूरे स्कूल में टॉफियां बांटने के लिए सबसे अजीज दोस्त का चुनाव करना होता था। वह दोस्त के साथ उस दिन के लिए पर्सनल असिस्टेंट भी होता था। किस क्लास में जाना है, किस मैडम को कितनी टॉफियां  देनी है,वो  दोस्त ही निर्देशित ही करता था।मुझे यह भी ध्यान है कि जिस दोस्त को साथ लेकर नहीं जा पाते थे उन्हें बाद में ज्यादा टॉफियां देकर खुश करना होता था।परीक्षा की घड़ी तो तब चालू होती थी जब क्लास की लड़कियों को टॉफियां बाटनी होती थी, देनी एक या दो टॉफी ही होती थी पर डर ऐसा लगता था जैसे कोई प्रपोज करने जा रहे हो और पीछे बैठे दोस्त माहौल ऐसा बना देते थे जैसे टॉफी नहीं शादी का रिश्ता लेकर गए हो। हफ़्तों पहले तय हो जाता था कि जन्मदिन वाले दिन कौनसी ड्रेस पहनकर स्कूल जाऊंगा।स्कूल के दिनों में सच में महसूस होता था कि आज कुछ खास है घर आकर बाहर घूमने जाना, फिर नए पकवान, बहुत सारे तोहफे और चेहरे पर असल मुस्कुराहट भी होती थी,पर स्कूल जिंदगी भर नहीं रह सकती… उम्र बढ़ी साथ बदला नई सीख मिली और पुरानी बातें महज यादें बन रहे गईं।उस उम्र में उत्साह रहता था जन्मदिन का, एक उमंग रहती थी हर किसी को बताते कि आज हमारा जन्मदिन है लोग बधाई देते बड़ा अच्छा लगता था। और अब… हमै सौठकी सी लागे हैं।

हर चीज की एक शुरुआत होती है, यह विचित्र सोच/व्यवहार यूं ही नहीं मेरे पास है। यह बात है उस दौर कि जब फेसबुक बड़ा हावी हुआ था उस वक्त के नजारे ही अलग थे,जन्मदिन पर अपने सारे दोस्तों को नोटिफिकेशन जाता था कि आज मुदित का जन्मदिन है बधाइयां मिलती बड़ा अच्छा लगता था। फिर प्रतिस्पर्धा होती कि उसे तो फेसबुक पर इतनी सारी विशेज मिली और तुझे तो इतनी ही आई,मैं खुद गिनता की दोस्त तो 80 है विशेज 17 ही आई है? मन में हीनता का भाव आने लगता, पर ठीक है सह लिया थोड़ा। अगर कोई मुझसे पूछे कि मुदित तुममें समझदारी कब आई या तुमने कठोर निर्णय लेने की क्षमता कब आई?  तो मैं जवाब दूंगा कि उस दिन जब मैंने फेसबुक से अपना जन्मदिन छुपा लिया! अब किसी को खबर नहीं लगती कि मेरा जन्मदिन आने वाला है।समय बदला रास्ते बदले जो साथ थे वह दूर हो गए,वह अपनी जिंदगी में मस्त और मैं अपनी जिंदगी में तल्लीन हो गया।  कॉलेज में कुछ एक यारो को पता चला था, पर स्कूल में दसवीं  से लेकर आज तक मैंने किसी को खबर नहीं लगने दी कि मेरा जन्मदिन कब आता है।  अब पता नहीं यह बेवकूफी है या समझदारी मैं दिखावा नहीं चाहता। आज तक कभी भी ‘केक मर्डर…’ ‘फर्स्ट क्राई…’ जैसी बेतुकी बातें ऑनलाइन बायो में कभी नहीं लिखी। मैं नहीं चाहता कि कोई मुझे फेसबुक पर विश करें या कहीं मैसेज करे,क्योंकि जो मुझसे जुड़े हैं मैं भी उनके साथ हूं और वह मुझसे रूबरू जन्मदिन की अनेकों अनेक शुभकामनाएं देते हैं और मेरे लिए वह दुआ मायने रखती है। पर यह जन्मदिन की शुभकामनाएं जीवन मे बड़ी व्याकुलता भी ला देती है…”एक पड़ाव उम्र का और पार कर लिया क्या करेगा मुदित तू आगे? कब जिम्मेदार बनेगा कब बचपन से निकल यथार्थ में आएगा? इंजीनियरिंग वालों को लड़कियां वैसे ही नहीं देते लोग, कब तू अपने पैरों पर खड़ा होगा? एक साल और निकाल दिया कुछ हासिल नहीं किया। ये मौज मस्ती, कलम, पल्ला सब छोड़ यार थोड़ा सीरियस बन जिम्मेदारी उठा जिम्मेदार बन, क्या करेगा तू यार इतनी भीड़ में,कैसे गुज़ारा होगा तेरा? “
और इन्हीं मन के ख्यालों में जन्मदिन बोझ बन रह जाता है कुछ ख्याल गलत होते हैं पर कुछ सही भी। मैं तस्वीरे देखता हूं लोग इतने जश्न से मानते है जन्मदिन, पता नही उन्हें कोई तकलीफ नही, क्या पता उन्होंने क्या सीख है … जिना या जलाना । पर मैं इतना भी गैर जिम्मेदार है फ़ारिग़ नहीं।अब जब भी कोई मुझे हैप्पी बर्थडे बोलता है तो जवाब देने से पहले मन में ख्याल आता है “कुछ भी तो हासिल नहीं किया मैंने, किस तरह और किस लिए खुशहाल जन्मदिन मनाऊ?” और इस कोरोनिये  की आने के बाद तो सच में कभी-कभी ऐसा लगता है कि बोझ हु धरती पर, सिर्फ जनगणना के लिए ही आया हूं, फिर कई लोग मुझे बोलते हैं कि तुम बड़े खडूस हो।अब क्या करें जन्मदिन पर किस बात की खुशी मनाएं…  ठोकर खाने की? तजुर्बे  लेने की?  या हर शाम घर दूध लाने की? मेरी तलवारे तो बाहर आती नहीं है बाकी कुछ रहता नहीं है जन्मदिन वाले दिन! अब जन्मदिन किसी आम दिन की तरह ही होता है, पहले वाली बाते, बहुत पीछे छूट गई।जन्मदिन मनाए जाते हैं महान लोगों के जो प्रेरणादायक हो, जिन्होंने समाज के लिए उद्धार के लिए काम करा हो,जो विचारों से मन का मेल दूर कर आपसी मेलजोल बढ़ाए, उदाहरण स्वरूप श्री कृष्ण! उन्होंने धर्म की स्थापना की, भारत वंश की नींव रखी और हम जन्माष्टमी कितने धूम से मनाते हैं। हमने वैसे कुछ करने का तो कभी सोचा ही नही,सिर्फ खुद का पहनना, खुद का खाना,एक पहला ही ई एसएससी, यूपीएससी में गेला गूंगा होयडा हा,भळे ओ कोरोनिये कारण घरे बैठ्या आ, काई बात रो जिनमदिन बणावा ?

खैर ये सब मजाक की बात हो गई, हर दिन एक उत्सव है, हर दिन एक नवीन रंग युक्त है। हम उस उमंग उस रंग में अच्छी तरह से घुल जाए इसलिए तो आज कल इतने सारे दिन चल गए जैसे टी डे, ब्रदर्स डे ,फलाना डे ढिमका डे। पहले हमारे बड़े लोगों से सुना है कि किसी का जन्मदिन याद भी हो? या कभी मदर्स डे मनाया हो? नहीं! क्योंकि वह हर दिन प्रसन्न रहते थे कर्म करते थे।अब पता नही हमारी सांसो पर दिखावा बड़ा हावी हो गया है, आजकल बच्चे दो साल के होते नहीं है कि जन्मदिन मनाया जा रहा है,यार वह बच्चा उस चीज को समझता नहीं है यह दिखावा किस लिए किया जा रहा है, और दिखावे की बात चली है तो व्हाट्सएप वाले स्टेटस को कैसे भूल सकते हैं। जो कोई विश करता है लोग उसका स्क्रीनशॉट लेकर स्टेटस लगा देते हैं।कई लोग तो इतने स्टेटस लगाते हैं कि वह गोल चक्कर थोड़ा-थोड़ा होकर एक पूरा चक्कर दिखने लग जाता है। क्या मतलब है किसी की भेजी विशेज या मैसेज को स्टेटस लगाकर पूरी दुनिया को दिखाने का।और दिखावे की बात ही है तो केक को कैसे भूल सकते हैं, बर्थडे पार्टी में केक काटकर वह बारी-बारी से बर्थडे बॉय या गर्ल को केक खिलाने की रस्म मुझे पूर्ण रूप से निरउद्देश्य लगती हैं। क्या मतलब है किसी को केक खिलाने का और वापस उसके झुठे केक को खाने का,फिर वह झूठी मुस्कुराती फोटो खिचाना। कसम से मुझे बर्थडे पार्टी से उदासीन जगह और कोई नहीं लगती।
जन्मदिन एक खुशियों से भरा दिन है क्योंकि उस दिन प्रेम भरपूर मिलता है और इस प्रेम में मिठास तब आता है जब साल भर हम नेक कार्य करें,सतवाणी बोले,सत-व्यवहार करें परोपकार की भावना रखें,अपनी जिम्मेदारी समझे और कर्तव्य का पालन करें। जरूर उम्र के साथ व्यवहार में भी परिवर्तन आता है परंतु उम्र के साथ जो जीवन मे संतोष ले आता है उसे फिर सफेद बाल और शरीर की झुर्रिया भी बुढ़ा नही होने देते।
मैंने लगभग अपना हर ब्लॉक किसी खास तारीख पर पेश किया है और परायों के जन्मदिन पर नज़्म, रश्क़ ना जाने क्या-क्या पेश किया है तो मैंने सोचा कि इस बार स्वयं के लिए भी कुछ किया जाए। मुझमे एक बहुत बड़ी कमी है, मैं जन्मदिन की तरीके याद नही रख पाता,और बीते चार साल से एक नौ तारीक भुलाने की कोशिश भी कर रहा हु, पर इस बार का जन्मदिन खास है क्योंकि आज मैंने किसी गैर का जिक्र नही किया, खुद की तारीख़-ए-पैदाइश पर बिखरे ख़यालात रखे हैं। 🎇🍨�

दुख इस बात का नहीं कि सब से दूर हो गया, इस समय में इस समझ का हकदार भी कैसे हो गया ?
काश मैं भी दिखावा करता, छलावे के रिश्ते रखता, मतलबी मुस्कान रखता,
फिर अब क्यों सोचु कि हर किसी से मैं अलग कैसे हो गया।

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